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कविता

माँगपत्र

नरेंद्र जैन


अब जो कविता लिखी जाए
वह एक
माँगपत्र हो
कविता को आज
माँगपत्र भी होना है
एक साफ आरोपपत्र
जो पढ़ा जा सके चौराहों पर
इतिहास कविता का
हजारों वर्ष पुराना
कवि चाहे तो
डाल सकता है माँगपत्र में
लयात्मक संवेदना
और साध सकता है
कलात्मक संतुलन भी
कविता को
जिरह होना है अब
एक फौरी जरूरत के तहत
माँगपत्र होगा
तो कविता भी होगी
खतरा कविता को नहीं
जीवन को है
तलवार कविता पर लटके
शहादत कवि की होगी
कवि, लिख हुक्मरानों के लिए
कुछ ऐसा
कि जनमत तैयार कर सके तू


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